ठंकना पु † क्रि॰ स॰ [हिं॰ ढाँकना, ढँकना] छुपाना । ढाँकना । उ॰—(क) मावड़िया मुख ठंकिया, वैसे फाड़े बाक ।—बांकी॰ ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ १९ । (ख) गोरख के गुरु महा मछींद्रा तिन्है पकरि सिर ठंका ।—सं॰ दरिया, पृ॰ १३१ ।