प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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टोकरा संज्ञा पुं॰ [?] [स्त्री॰ टोकरी] बाँस की चिरी हुई फट्टियों, अरहर, झाज की पतली टहनियों आदि को गाँछकर बनाया हुआ गोल और गहरा बरतन जिसमें घास, तरकारी, फल आदि रखते हैं । छावडा़ । डला । झावा । खाँचा । मुहा॰—टोकरे पर हाथ रहना = इज्जत बनी रहता । परदा न खुलना । भरम बना रहना ।