प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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टंकारी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ टङ्कारी] एक पेड़ जिसकी पत्तियाँ लंबोतरी होती है । विशेष—फूल के भेद से इसकी कई जातियाँ हैं । किसी में लाल फूल लगते हैं, किसी में गुलाबी और किसी में सफेद । फूल गुच्छों में लगते हैं जिनके झड़ने पर छोटे छोटे फलों के गुच्छे लगते हैं । यह क्षुप जँगलों में बहुत होता है । वैद्यक में इसका स्वाद—कटु और गुण वात कफ का नाशक और अग्निदीपक लिखा है । टंकारी उदर रोग और विसर्प रौग में भी दी जाती है ।

टंकारी ^२ वि॰ [सं॰ टङ्कारिन्] [वि॰ स्त्री॰ टङ्कारिणी] टंकार करनेवाला [को॰] ।