टँकावल पु वि॰ [सं॰ टङ्क ( = सिक्का) + आवल (=वाला)] टंकोवाला । बहुमूल्य । उ॰—काने कुंडल झलमलइ कंठ टँकावल हार ।—ढोला॰, दू॰ ४८० ।