प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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झीक ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'झींका' । उ॰— काम क्रोध मद लोभ चक्की के पीसनहारे । तिरगुन ड़ारै झीक पकरि कै सबै निकारे ।—पलटू॰, पृ॰ ८४ ।

झीक ^२ † क्रि॰ वि॰ [हिं॰] झटके से । शीघ्रता से । उ॰— काबाड़ी नित काटता, झीक कुहाड़ा झाड़ ।—बाँकी॰ ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ३२ ।