प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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झाँट संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ जट, हिं॰ झड़ (बाल)]

१. पुरुष या स्त्र ी का मूत्रेंद्रिय पर के बाल । उपस्थ पर के बाल । पशम । शष्प । उ॰— आबरू की आँख में एक गाँठ है । आबरू सब शायरों की झाँट है ।— कविता कौ॰, भा॰ ४, पृ॰ १० । मुहा॰— झाँठ उखाड़ना = (१) बिलकुल व्यर्थ समय नष्ट करना । कुछ भी काम न करना । (२) कुछ भी हानि या कष्ट न पहुँचा सकना । इतनी हानि भी न पहुँचा सकना जितनी एक झाँट उखड़ जाने से हो सकती है । झाँट जल जामा या राख हो जाना= किसी को अभिमान आदि की बातें करते देखकर बहुत बुरा मालूम होना । विशेष— इस मुहवरे का व्यवहार अभिमान करनेवाला के प्रति बहुत अधिक उपेक्षा दिखलाने के लिये किया जाता है ।

२. बहुत तुच्छ वस्तु । बहुत छोटी या निकम्मी चीज । मुहा॰ — झाँड़ बराबर = (१) बहुत छोटा । (२) अत्यंत तुच्छ । झाँट की झँदुल्ली = अत्यंत तुच्छ (पदार्थ या मनुष्य) ।