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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

झखना पु † क्रि॰ अ॰ [प्रा॰ जक्खण]दे॰ 'झीखना' । उ॰— (क) बाबा नंद झखत केहि कारण यह कहि मया मोह अरुझाय । सूरदास प्रभु मातु पिता को तुरताहि दुख डारयो बिसराय ।—सूर (शब्द॰) । (ख) पुनि धांइ धरी हरि जू की भुजान तैं छूटिबे को बहु भाँति झखी री ।—केशव (शब्द॰) । (ग) कवि हरिजन मेरे उर बनमाल तेरे बिन गुन माल रेख सेख देखि झखियाँ ।—हरिजन (शब्द॰) ।