जोर
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनजोर संज्ञा पुं॰ [फा॰ जोर] बल । शक्ति । ताकत । क्रि॰ प्र॰—आजमाना ।—देखना ।—दिखाना ।—लगना ।— लगाना । मुहा॰—जोर करना = (१) बल का प्रयोग करना । ताकत लगाना । (२) प्रयत्न करना । कोशिश करना । जोर टूटना = बल घटना या नष्ट होना । प्रभाव कम होना । शक्ति घटना । जोर डालना = बोझ डालना । दे॰ 'जोर देना' । जोर देना = (१) बल का प्रयोग करना । ताकत लगाना । (२) शरीर आदि का) बोझ डालना । मार देना । जैसे,—इस जँगले पर जोर मत दो नहीं तो वह टूट जाएगा । किसी बात पर जोर देना = किसी बात को बहुत ही आवश्यक या महत्वपूर्ण बतलाना । किसी बात को बहुत जरूरी बतलाना । जैसे,— उन्होनें इस बात पर बहुत जोर दिया कि सब लोग साथ चलें । किसी बात के लिये जोर देना = किसी बात के लिये आग्रह करना । किसी बात के लिये हठ करना । जोर देकर कहना = किसी बात को बहुत अधिक दृढ़ता या आग्रह से कहना । जैसे,—मैं जोर देकर कह सकता हूँ कि इस काम में आपको बहुत फायदा होगा । जोर मारना या लगाना = (१) बल का प्रयोग करना । ताकत लगाना । (२) बहुत प्रयत्न करना । खूब कोशिश करना । जैसे,—उन्होंने बहुतेश जोर मारा पर कुछ भी नहीं हुआ । यौ॰—जोर जुल्म = अत्याचार । ज्यादती ।
२. प्रबलता । तेजी । बढ़ती । जैसे, भाँग का जोर, बुखार का जोर । विशेष—कभी कभी लोग इस अर्थ में 'जोर' शब्द का प्रयोग 'से' विभक्ति उड़ाकर विशेषण की तरह और कभी कभी 'का' विभक्ति उड़ाकर क्रिया की तरह करते हैं । मुहा॰—जोर पकड़ना या बाँधना = (१) प्रबल होना । तेज होना । जैसे,—(क) अभी से इलाज करो नहीं तो यह बीमारी जोर पकड़ेगी । (ख) इस फोड़े ने बहुत जोर बाँधा है । (२) दे॰ 'जोर में आना' । जोर करना या मारना = प्रबलता दिखलाना । जैसे,—(क) रोग का जोर करना । काम का जोर करना । (ख) आज आपकी मुहब्बत ने जोर मारा, तभी आप यहाँ आए हैं । जोर में आना = ऐसी स्थिति में पहुँचना जहाँ अना— यास ही उन्नति या वृद्धि हो जाय । जोर या जोरों पर होना = (१) पूरे बल पर होना । बहुत तेज होना । जैसे— (क) आजकल शहर में चेचक बहुत जोरों पर है । (ख) इस समय उन्हें बुखार जोरों पर है । (२) खूब उन्नत दशा में होना ।
३. वश । अधिकार । इख्तियार । काबू । जैसे,—हम क्या करें, हमारा उनपर कोई जोर नहीं हैं । क्रि॰ प्र॰—चलना ।—चलना ।—जताना ।—होना । मुहा॰—जोर डालना = किसी काम के लिये कुछ अधिकार जत लाते हुए विशेष आग्रह करना । दबाव डालना ।
४. वेग । आवेश । झोंक ।
जोर से शब्द करना । उ॰—(क) एक मुई रुर सुई सो दुजी । राह न जाय आयु अव पूजी ।—जायसी (शब्द॰) । (ख) हमरे श्याम चलन कहत हैं दूरि । मधुबन बसत आस हुती सजनी अब मरिहौं जु बिसूरि । कौन कहीं कौन सुनि आई केहि रुख रथ की धूरि । संगहिं सबै चली माधव के ना तौ मरिहौं रुरि । दक्षिण दिशि यह नगर द्वारिका सिंधु रहौ जल पूरि । सूरदास प्रभु बिनु क्यों जीवौं जात सजीवन मूरि ।—सूर (शब्द॰) ।