जूड़ी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनजूड़ी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ जूड़] एक प्रकार का ज्वर जिसमें ज्वर आने के पहले रोगी को जाड़ा मालूम होने लगता है और उसका शरीर घटों काँपा करता है । उ॰— जो काहू की सुनहिं बड़ाई । स्वास लेहिं जमु जूड़ी आई । —तुलसी (शब्द॰) । विशेष— यह ज्वर कई प्रकार का होती है । कोई नित्य आता है, कोई दूसरे दिन, कोई तीसरे दिन और कोई चौथे दिन आता है । नित्य के इस प्रकार के ज्वर को जूड़ी, दूसरे दिन आनेवाले को अँतरा, तीसरे दिन आनेवाले को तिजरा और चौथे दिनवाले को चौथिया कहते हैं । यह रोग प्रायः मलेरिया से उत्पन्न होता है । क्रि॰ प्र॰—आना ।
जूड़ी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ जुड़ना] जुँट्टी ।
जूड़ी ^३ वि॰ [हिं॰ जूड़] ठंडी । शीतल । उ॰— किंतु बँगले के कमरे में घुसते ही सीतल जूड़ी छाया ने अपना असर किया ।—किन्नर॰, पृ॰ ७ ।