जूड़ ^१ † वि॰ [सं॰ जड] [क्रि॰ जुड़ाना, जुड़वाना] ठंढा । शीतल । उ॰— ओझा डाइन उर से डरपैं जहर जूड़ हो जाई । विषधर मन में कर पछित वा बहुरि निकट नहिं आई ।— कबीर श॰, भा॰ २, पृ॰ २८ ।
जूड़ ^२ † संज्ञा पुं॰ [हिं॰ जूड़ा] दे॰ 'जूड़ा' ।