प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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जुग संज्ञा पुं॰ [सं॰ युग]

१. युग । मुहा॰— जुग जुग = चिर काल तक । बहुत दिनों तक । जैसे,— जुग जुग जीऔ ।

२. दो । उभय । उ॰— बाला के जुग कान मैं बाला सोभा देत ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ॰ ३८८ ।

३. जत्था । गुट्ट । दल । गोल । मुहा॰—जुग टूटना = (१) किसी समुदाय के मनुष्यों का परस्पर मिला न रहना । अलग अलग हो जाना । दल टूटना । मंड़ली तितर बितर होना । जैसे —सामने शत्रु सेना के दल खड़े थे, पर आक्रमण होते ही वे इधर उधर भागने लगे और उनके जुग टूट गए । (२) किसी दल या मंड़ली में एकता या मेल न रहना । जुग फूटना = जोड़ा खंड़ित होना । साथ रहनेवाले दो मनुष्यों में से किसी एक का न रहना ।

३. चौसर के खेल में दो गोटियों का एक ही कोठे में इकट्ठा होना । जैसे, छुग छूटा कि गोटी मरी ।

४. वह डोरा जिसे जुलाई तारों को अलग अलग रखने के लिये ताने में ड़ाल देते हैं ।

५. पुश्त । पीढ़ी ।