जामुन

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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

जामुन संज्ञा पुं॰ [सं॰ जम्बु] गरम देशों में होनेवाला एक सदाबहार पेड़ । जाम । जंबू । विशेष—यह वृक्ष भारतवर्ष से लेकर बरमा तक होता है और दक्षिण अमेरिका आदि में भी पाया जाता है । यह नदियों के किनारे कहीं कहीं आपसे आप उगता है, पर प्रायः फलों के लिये बस्ती के पास लगाया जाता है । इसकी लकडी़ का छिलका सफेद होता है और पत्तियाँ आठ दस अंगुल लंबी और तीन चार अंगुल चौडी़ तथा बहुत चिकनी, मोटे दल की और चमकीली होती है । बैसाख जेठ में इसमें मंजरी लगती है जिसके झड़ जाने पर गुच्छों में सरसों के बराबर फल दिखा ई पडते हैं जो बढ़ने पर दो तीन अंगुल लंबे बेर के आकार के होते हैं । बरसात लगते ही ये फल पकने लगते हैं और पकने पर पहले बैंगनी रंग के और फिर खूब काले हो जाते हैं । ये फल कालेपन के लिये प्रसिद्द हैं । लोग 'जामुन सा काला' प्रायः बोलते हैं । फलों का स्वाद कसैलापन लिए मीठा होता है । फल में एक कडी़ गुठली होती है । इसकी लकडी़ पानी में सड़ती नहीं और मकानों में लगाने तथा खेती के सामान बनाने के काम में आती है । इसका पका फल खाया जाता है । फलों के रस का सिरका भी बनता है जो तिल्ली, यकृत् रोग आदि की दवा है । गोआ में इससे एक प्रकार की शराब भी बनती है । इसकी गुठली बहुमूत्र के रोगी के लिये अत्यंत उपकारी है । बौद्ध लोग जामुन के पेड़ को पवित्र मानते हैं । वैद्यक में जामुन का फल ग्राही, रूखा तथा कफ, पित्त और दाह को दूर करनेवाला माना जाता है । पर्या॰—जंबू । सुरभिप्रभा । नीलफला । श्यामला । महास्कंधा । राजार्हा । राजफला । शुकप्रिया । मोदमादिनी । जंबुल ।