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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

जाप ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. किसी मंत्र या स्तोत्र आदि का बार बार मन में उच्चारण । मंत्र की विधिपूर्वक आवृति । ड॰— अनमिल आखर अर्थ न जापू । प्रगट प्रभाव महेश प्रतापू ।— तुलसी (शब्द॰) ।

२. भगवान् क् नाम का बार बार स्मरण और उच्चारण ।

जाप ^२ † संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ जप] मंत्र या नाम आदि जपने की माला । उ॰—बिरह अभूत जटा बैरानी । छाला काँव आप कंठ माला ।—जायसी (शब्द॰) ।