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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

जलोदर संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक रोग जिसमें नाभि के पास पेट के चमड़े के नीचे की तह में पानी एकत्र हो जाता है । विशेष—इस रोग में पानी इकट्ठा होने से पेट फूल जाता है और आगे की ओर निकल पड़ता है । वैद्यों का मत है कि घृतादि पान करने और वस्ति कर्म, रेचन और वमन के पश्चात् चटपट ठंढे जल से स्नान करने से शरीर की जलवाहिनी नसें दूषित हो जाती हैं और पानी उतर आता है । इसमें रोगी के पेट में शब्द होता है और उसका शरीर काँपने लगता है ।