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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

जयमंगल संज्ञा पुं॰ [सं॰ जयमङ्गल]

१. वह हाथी जिसपर राजा विजय करने के उपरांत सवार होकर निकले ।

२. राजा के सवार होने योग्य हाथी ।

३. ताल के साठ भेदों मे एक । विशेष—यह श्रृंगार और बीर रस में बजाया जाता है । यह चौताला ताल है और इसका बोल यह है—तकि तकि । दांतकि । धिमि धिमि । थों ।

४. ज्वर की चिकित्सा में प्रयुक्त आयुर्वेदीय जयमंगल नामक रस (को॰) ।

५. विजय की खुशी । जय का आनंद (को॰) ।