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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

जंबूरा संज्ञा पुं॰ [फा़॰ जंबूरह्]

१. चर्ख जिसपर तोप चढ़ाई जाती है ।

२. भँवर कड़ी । भँवर कली ।

३. सोने लोहे आदि धातुओं के बारीक काम करनेवालों का एक औजार जिससे वे तार आदि को पकड़कर ऐंठते, रेतते या घुमाते हैं । विशेष—यह काम के अनुसार छोटा या बड़ा होता है और प्रायः लकड़ी के टुकड़े में जड़ा होता है । इसमें चिमटें की तरह चिपककर बैठ जानेवाले दो चिपटे पल्ले होते हैं । इन पल्लों की बगल में एक पेंच रहता है जिससे पल्ले खुलते और कसते है । कारीगर इसमें चीजों को दबाकर ऐंठते, रेतते, तथा और काम करते हैं ।

४. लकड़ी का एक बल्ला जो मस्तूल पर आड़ा लगा रहता है और जिसपर पाल का ढाँचा रहता है ।—(लश॰) ।