छुरी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनछुरी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. काटने या चीरने फाड़ने का छोटा हथियार जिसमें एक बेट में लोहे का लंबा धारदार टुकड़ा लगा रहता है । इससे नित्य प्रति के व्यवहार की वस्तु जैसे, फल, तरकारी, कमल आदि काटते हैं ।
२. लोहे का एक धारदार हथियार जिसमें बेंट लगा रहता है । मुहा॰—छुरी चलना = (१) छुरी की लड़ाई होना । (२) चीरने आदि के लिये छुरी का प्रयोग होना । (किसी पर) छुरी चलाना=घोर कष्ट पहुँचाना । घोर दुःख देना । भारी हानि पहुँचाना । घोर अनिष्ट करना । बुराई करना । अहित साधन करना । छुरी देना=मारना । गला काटना । (किसी पर) छुरी तेज होना=अनिष्ट करने या हानि पहुँचाने की तैयारी होना । (किसी पर ) छुरी फेरना=किसी का अनिष्ट करना । किसी को भारी हानि पहुँचाना । (किसी के) गले पर छुरी फेरना=दे॰ 'छुरी फेरना' । छुरी कटारी रहना=लड़ाई झगड़ा रहना । बिगाड़ रहना । बैर रहना । (किसी के) छुरियाँ कटावन पड़ना=(१) किसी के कारण या उसके द्वारा किसी वस्तु का नष्ट या खर्च होना । कट्टे लगना । जैसे,—यहाँ आम रखे थे, न जाने किसके छुरियाँ कटावन पडे़ (अर्थात् न जाने किसने ले लिए या खा लिए) । यह वाक्य प्रायः स्त्रियाँ क्रोध में शाप के रूप में बोलती हैं । (२) रक्ता- तिसार होना । लोहू गिरना ।