छीका
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनछीका संज्ञा पुं॰ [सं॰ शिक्य, हिं॰ सीका]
१. गोल पात्र के आकार का रस्सियों का बुना हुआ जाल जो छत में इसलिये लटकाया जाता है कि उसपर रखी हुई खाने पीने की चीजों (जैसे, दूध, दही आदि) को कुत्ते, बिल्ली आदि न पा सकें । सीका सिकहर ।—अब कहि देउ कहत किन यों कहि माँगत दही धरयो जो है छीके । सूर (शब्द॰) । मुहा॰—छीक टूटना = अनायास ऐसी घटना होना जिससे किसी को कुछ लाभ हो जाय । जैसे—बिल्ली के भाग से छीका टूटा ।
२. जालीदार खिड़की या झरोखा ।
३. रस्सियों का जाल जो काम लेते समय वैलों के मुँह में इसलिये पहनाया जाता है जिससेवे कुछ खाने के लिये इधर उधर मुँह न चला सकें । जाबा । मुसका । क्रि॰ प्र॰—देना ।—लगाना ।
४. रस्सियों का बना हुआ झुलनेवाला पुल । झूला ।
५. बाँस या पतली टहनियों को बुनकर बनाया हुआ टोकरा जिसमें बड़ें बड़े छेद छूटे रहते हैं । छिटनी । खँचिया ।