छबिलवा † वि॰ [हिं॰] दे॰ 'छबीला' ।—उ॰—मोरा मन बाँधि लौ, तोरे गुन छैल छबिलवा रसिक रसिलवा ।—घनानंद, पृ॰ ४११ ।