प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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छप्पर संज्ञा पुं॰ [हिं॰छोपना]

१. बाँस या लकड़ी की फट्टियों और फूस आदि की बनी हुई छाजन जो मकान के ऊपर छाई जाती है । छाजन । छान । क्रि॰ प्र॰—छाना ।—ड़ालना ।—पढ़ना ।—रखना । यौ॰—छप्परबंद । मुहा॰—छप्पर पर रखना = दूर रखना । अलग रखना । रहने देना । छोड़ देना । चर्चा न करना । जिक्र न करना । जैसे,— तुम अपनी घड़ी छप्पर पर रखो, लाओ हमारा रुपया दो । छप्पर पर फूस न होना = अत्यंत निर्धन होना । कंगाल होना । अकिंचन होना । छप्पर फाड़कर देना = अनायास देना । बिना परिश्रम प्रदान करना । बैठे बैठाए अकस्मात् देना । घर बैठे पहुँचना । जैसे,—जब देना होता है तो ईश्वर छप्पर फाड़कर देता है । छप्पर रखना = (१) एहसान रखना । बोझ रखना । निहोरा लगाना । उपकृत करना । (२) दोषारोपण करना । दोष लगाना । कलंक लगाना ।

२. छोटा ताल या गड़्ढा जिसमें बरसाती पानी इकट्ठा रहता है । ड़ाबर । पोखर । तलैया ।