प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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छनना क्रि॰ अ॰ [सं॰ क्षरण]

१. किसी चूर्ण (जैसे आटा) या द्रव पदार्थ (जैसे, दूध, पानी आदि) का किसी कपडे़ या जाली के महीन छेदों में से होकर इस प्रकार नीचे गिरना कि मैल, खूद, सीठी आदि अलग होकर ऊपर रह जाय । छलनी से साफ होना ।

२. छोटे छोटे छेदों से होकर आना । जैसे,—पेड़ की पत्तियों के बीच से धूप छनछनकर आ रही है ।

३. किसी नशे का पिया जाना । जैसे,—भाँग छनना, शराब छनना । मुहा॰—गहरी छनना =(१) खूब मेल जोल होना । गाढी मैत्री होना (२) परस्पर रहस्य की बातें होना । खूब घुट घुटकर बात होना । (३) आपस में चरना । बिगाड़ होना । लड़ाई होना । एक दूसरे के विरुद्ध प्रयत्न होना । जैसे—उन दोनों में आजकल गहरी छन रही है ।

४. बहुत से छेदों से युक्त होना । स्थान स्थान पर छिद जाना । छलनी हो जाना । जैसे,—इस कपडे़ में अब क्या र गया हैह , बिलकुल छन गया है ।

५. बिध जाना । अनेक स्थानों पर चोट खाना । जैसे,—उसका सारा शरीर तीरों से छन गया है ।

६. छानबीन होना । निर्णय होना । सच्ची और झूठी बातों का पता चलना । जैसे, मामला छनना ।

७. कड़ाह में से पूरी पकवान आदि तलकर निकलना । जैसे, पूरी छनना ।

छनना ^२ संज्ञा पुं॰ छनने की वस्तु । किसी वस्तु के छानने का साधन । जैसे, महीन छनना (कपड़ा) ।