छजना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनछजना क्रि॰ अ॰ [सं॰ सज्जन, हिं॰ सजना]
१. शोभा देना । सजना । अच्छा लगना । सोहना । उ॰—(क) बालम के बिछुरे ब्रजबाल को हाल कहयौं न परै कछु ह्याहीं । च्वै सो गई दिन तीन ही में तब औधि लौं क्यों छजिहै छहीं छाहीं ।—केशव (शब्द॰) । (ख) कूबर अनुप रुप छती छजत तैसी छज्जन में मोती लटकत छबी छावने ।—गिरधर (शब्द॰) ।
२. उपयुक्त जान पड़ना । ठीक जँचना । उचित जान पड़ना ।