छगडा संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ छगल या छगलक] [स्त्री॰ छगडी] बकरा । उ॰—(क) एक छगडी एक छगडा लीलिसि नौ मन लीलिसि केराँव । बारह भैसा सरसों लीलिसि औ चौरासी गाँव । कवीर (शब्द॰) । (ख) ना मैं छगडी ना मैं भेंडी ना मैं छुरी गँडास में ।—कबीर श॰, भा॰ १, पृ॰ १०२ ।