प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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छक्का संज्ञा पुं॰ [सं॰ षट्क या षट्क, प्रा॰ छक्कौ]

१. छह का समूह या वह वस्तु जो छह अवयवों से बनी हो ।

२. जूए का एक दाँव जिसमें कौडी या चित्ती फेंकने से छह कौडियाँ चित्त पडे । यही दाँव दो, या दस, या चौदह कौडियों के चित्त पडने पर भी माना जाता है । मुहा॰—छक्का पंजा = दाँवपेच । चालबाजी । छक्का पंजा भूलना = युक्ति काम न करना । चाल न चलना । कर्तव्य न सुझाई पडना । बुद्धि का काम न करना ।

३. पासे का एक दाँव जिसमें पासा फेकने से छह बिंदियाँ ऊपर पडें । क्रि॰ प्र॰—जालना ।—पडना ।—फेंकना ।

४. जुआ । द्यूत । क्रि॰ प्र॰—खेलना ।—फेंकना ।—डालना ।

५. वह ताश जिसमें छह बूटियाँ हो ।

६. पाँच ज्ञानेंद्रियों और छठे मन का समूह । होश हवास । सुध । संज्ञा । औसान । मुहा॰—छक्के छूटना = (१) होश हवास जाता रहना । होश उडना । बुद्धि काम न करना । स्तब्ध होना । उ॰— सुननेवालों के छक्के छूट जाते ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ३४० । (२) हिम्मत हारना । साहस छूटना । धबरा जाना । जैसे, नई सेना के आते ही शत्रुओं के छक्के छूट गए । छक्के छुडाना (१) चकित करना । विस्मित करना । हैरान करना । (२) साहस छुडाना । अधीर करना । घबरा देना । पस्त करना । पैर उखाड देना । जैसे,—सिखों ने काबुलियों के छक्के छुडा दिए । उ॰—घोडे पर इस तरह सवार होते हैं जैसे किसी ने मेख गाड दी, मगर टट्टू ने इनके भी छक्के छुडा दिए ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ २३ ।