छकार † संज्ञा पुं॰ [हिं॰ छय, छै] क्षय । विनाश । उ॰—होखे दुरमति वंश तुम्हारा । ताते होवे विंद छैकारा ।—कबीर सा॰, पृ॰ २१० ।