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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

चौहान संज्ञा पुं॰ [देश॰] अग्निकुल के अंतर्गत क्षत्रियों की प्रसिद्ध शाखा विशेष—इसके मूल पुरूष के संबंध में यह प्रसिद्ध है कि उसके चार हाथ थे और उसकी उत्पत्ति राक्षसों का नाश करने के लिये वशिष्ठ जी के यज्ञकुंड़ से हुई थी । प्राय: एक हजार वर्ष पहले मालवे और राजपूताने में इस जाति के राजाओं का राज्य था और पीछे इसका विस्तार दिल्ली तक हो गया था । भारत के प्रसिद्ध अतिम सम्राट पृथ्वीराज इसी चौहान जाति के थे । कुछ लोगों का यह भी अनुमान है कि इस जाति के मूल पुरूष माणिक्य नामक एक राजा थे जो लगभग ईस्वी सन् ८०० में अजमेर में राज्य करते थे । इस जाति के क्षत्रिय प्राय: सारे उत्तरीयभारत में फैले ए हैं ।