प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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चौर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. दूसरों की वस्तु चुरानेवाला । चोर । यौ॰—चौकर्म = चोरी ।

२. एक गंध द्रव्य ।

३. चौरपुष्पी । चौरपंचाशिका के रचयिता संस्कृत के एक कवि का नाम ।

चौर ^२पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ चमर] दे॰ 'चमर' । उ॰—चौर इले हैं न्याचे पवन चेरी । —दक्खिनी॰, पृ॰ ३० ।

चौर ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ चुण्ड़ा] ताल जिसमें बरसाती पानी बुहत दिन तक रुका रहे । खादर ।