चूना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनचूना ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ चूर्ण] एक प्रकार का तीक्ष्ण क्षार भस्म जो पत्थर, कंकड, मिट्टी, सीप, शंख या मोती आदि पदार्थों को भट्ठइयों में फूँककर बनाया जाता है । विशेष—तुरंत फूँककर तैयार किए हुए चूने को कली या बिना बुझा हुआ चूना कहते हैं । यह ढोंके या उसी स्वरूप में होता है जिसमें उसका मूल पदार्थ फूँके जाने से पहले रहता है । कंकड़ का बिना बुझा चूना 'बरी' कहलाता है । बिना बुझा चूना हवा लगने से अपनी शक्ति और गुण के अनुसार तुरंत या कुछ समय में चूर्ण के रूप में हो जाता है और उसकी शक्ति और गुण में कमी होने लगती है । पर पानी के संयोग से बिना बुझे चूने की यह दशा बहुत जल्दी हो जाती है । उस अवस्था में उसे 'भरका' या बुझा हुआ चूना कहते हैं । बिना बुझे चूने पर जब पानी डाला जाता है, तब पहले तो वह पानी को खूब सोखता है, पर थोड़ी ही देर बाद उसमें से बुलबुले छूटने लगते हैं और बहुत तेज गरमी निकलती है । तेज चूने के संयोग से शरीर चर्राने लगता है और उसमें कभी कभी छाले तक पड़ जाते है । पत्थर का चूना बहुत तेज होता है और मकान की दीवारों पर सफेदी करने, खेत में खाद की तरह डालने, छींट आदि छापने, पान के साथ लगाकर खाने और दवाओं आदि के काम में आता है । कंकड़ का चूना भी प्रायः इन्हीं कामों में आता है; पर इसका सबसे अधिक उपयोग इमारत के काम में, ईंट पत्थर आदि जोड़ने और दीवारों पर पलस्तर करने के लिये होता है । शंख, सीप और मोती आदि का चूना प्रायः खाने और औषध के काम में ही आता है । मुहा॰—चूना काटना = खुजली होना । चूना छूना या फेरना = चूने को पानी में घोलकर दीवारों पर सफेदी करने के लिये पोतना । दीवारों पर चूने की सफेदी करना । चूना लगाना = खूब धोखा देना, हानि पहुँचाना या दिक करना । बहुत लज्जित करना । यौ॰—चूनादानी । चुनौटी ।
चूना ^२ क्रि॰ अ॰ [सं॰ च्यवन]
१. पानी या किसी दूसरे द्रव पदार्थ का किसी छेद या छोटी दरज में से बूँद बूँद होकर नीचे गिरना । टपकना । जैसे,—छत में से पानी चूना, लोटे में से दूध चूना, भींगे कपड़े से पानी चूना आदि । संयो॰ क्रि॰—जाना ।—पड़ना ।
२. किसी चीज का, विशेषतः फल आदि का, अचानक ऊपर से नीचे गिरना । जैसे, आम चूना, महुआ चूना ।
३. किसी चीज में ऐसा छेद या दरज हो जाना जिसमें से होकर कोई द्रव पदार्थ बूँद बूँद गिरे । जैसे, छत चूना, लोटा चूना, पीपा चूना आदि ।
४. गर्भपात होना । गर्भ गिरना । (क॰) उ॰— दिक पालन की, भुव पालन की, लोक पालन की किन मातु गई च्वै ।—केशव (शब्द॰) ।
चूना ^३ † वि॰ [हिं॰ चूना (क्रि॰ अ॰,)] चूअना जिसमें किसी चीज के चूने योग्य छेद या दरज हो । जैसे,—चूना घड़ा, चूना घर ।