चिराग
संज्ञा
- दीये का जलता हुआ भाग
- बेटा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
चिराग संज्ञा पुं॰ [फा़॰ चिराग, चराग] दीपक । दीआ । क्रि॰ प्र॰—गुल करना ।—जलना ।—जलाना ।—बुझना ।— बुझाना ।—बढा़ना । यौ॰—चिराग गुल पगडी़ गायब = मौका मिलते ही धन का उडा़ दिया जाना । चिराग जले = अँधेरा होने पर । संध्या समय । चिराग बत्ती का वक्त = संध्या के समय । चिराग सहरी, चिराग सुबह = (१) वह दिया जो बुझने बुझने को हो । (२) वह व्यक्ति जिसके जीवन के अंतिम दिन करीब हों । मरणासन्न । चिराग का गुल = दिए या चिराग का फुचडा़ जो रोशनी तेज करने के लिये झाड़ दिया जाता है । मुहा—चिराग का हँसना = चिराग से फूल झड़ना । चिराग को हाथ देना = चिराग बुझाना । चिराग गुल करना = (१) दीआ बुझाना । (२) किसी के वंश का विनाश करना । (३) रोनक मिटाना । चिराग गुल होना = (१) दीए का बुझ जाना । (२) रौनक मिटना । उदासी छाना । (३) किसी वंश का विनाश होना । चिराग ठंढा करना = चिराग बुझाना । चिराग तले अँधेरा होना = (१) किसी ऐसे स्थान पर बुराई होना जहाँ उसके रोकने का प्रबंध हो । जैसे, हकिम के सामने अत्याचार होना, पुलिस के सामने चोरी होना, किसी उदार धनी के किसी संबंधी का भूखों मरना, इत्यादी इत्यादी । (२) किसी ऐसे मनुष्य द्वारा कोई बुराई होना जिससे उसकी संभावना न हो । जैसे, किसी विद्वान् द्वारा कोई कुकर्म होना, इत्यादि । चिराग दिखाना = रोशनी दिखाना । सामने उजाला करना । चिराग बढा़ना = रोशनी बुझाना । चिराग बत्ती करना = दीआ जलाना । दीआ जलाने की तैयारी करना । चिराग लेकर ढूँढना = बडी़ छानबीन के साथ ढूँढ़ना । चारों और हैरान होकर ढूँढ़ना । परस्पर लाभ पहुँचना । चिराग से फूल झड़ना = चिराग की जली हुई बत्ती में गोल गोल फुचडे़ निकलना या गिरना । चिराग से गुल झड़ना । चिराग से चिराग जलना = एक दूसरे से लाभान्वित होना । चिराग से फूल झड़ना = चिराग का गुल झड़ना ।