प्रकाशितकोशों से अर्थ

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प्राचीन्, पुराना

शब्दसागर

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चिर ^१ वि॰ [सं॰] बहुत दिनों का । दीर्घकालवर्ती । जैसे,—चिर- काल, चिरायु । उ॰—हो एहु सतंत पियहिं पियारी । चिर अहिवात असीस हमारी ।—तुलसी (शब्द॰) । यौ॰—चिरकमनीय चिरकुमार = ब्रह्मचारी । आजीवन अवि- वाहित । उ॰—चिरकुमार भीष्म की पताका ब्रह्मचर्य दीप्त ।—अनामिका, पृ॰ ५८ । चिरनवीन = सदा नया रहनेवाला । उ॰—उज्ज्वल, अधीर और चिरनवीन । —अनामिका, पृ॰ ५८ । चिरपोषित = जिसका पोषण, रक्षण बहुत काल तक किया गया हो । चिरकाल से रक्षित अथवा पालित । उ॰—अपनी ही भावना की छायाएँ चिरपोषित ।—अनामिका, पृ॰ ७० । चिरप्रतीक्षित = जिसकी प्रतीक्षा बहुत दिनों से की जा रही हो । उ॰—उसके बाद चिरप्रतीक्षित औ चिरकमनीय, उसके स्वप्न और जागरण की आराध्य देवी ।—वो दुनिया, पृ॰ १२ । चिरसमाधि = (१) सदा से समाधिस्थ । बहुत काल से प्रसुप्त । उ॰—चिरसमाधि में अचिर प्रकृति जब तुम अनादि तब केवल तम ।—अनामिका, पृ॰ ३१ । (२) मृत्यु ।

चिर ^२ क्रि॰ वि॰ बहुत दिन । अधिक समय तक । दीर्घकाल तक । जैसे, चिरस्थायी । चिरजीवी । उ॰—चिर जीवहु सुत चारि चक्रवर्ती दशरत्थ के ।—तुलसी (शब्द॰) । यौ॰—चिरायु । चिरकाल । चिरकारी । चिरक्रिय । चिरजात । चिरजीवी । चिररोगी । चिरलब्ध । चिरशांति । चिरसंगी ।

चिर ^३ संज्ञा स्त्री॰ तीन मात्राओं का गण जिसका प्रथम वर्ण लघु हो ।