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संज्ञा

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चिड़िया

उच्चारण

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चिड़िया

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

चिड़िया संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ चटक हिं॰ चिड़ा] आकाश में उड़नेवाला जीव । वह प्राणी जिसके ऊपर उड़ने के लिये पर हों । पक्षी । पखेरू । पंछी । यौ॰—चिड़याखाना । चिड़याघर । चिड़िया चुनमुन=चि़ड़िया तथा उसी तरह के छोटे पक्षी । चिड़ियानोचन = चारों ओर का तकाजा । चारों ओर की माँग । बहुत से लोगों का किसी बात के लिये अनुरोध या दबाव । जैसे,—घर से रुपया आ जाता तो हम इस चिड़ियानोचन से छुट्टी पाते । सोने की चिड़िया = (१) खूब धन देनेवाला असामी । (२) अत्यंत सुंदर व्यक्ति । (३) रमणीक स्थान । मुहा॰—अप्राप्य वस्तु । अलभ्य वस्तु । ऐसी वस्तु जिसका होना असंभव हो । चिड़िया के छिनाले में पकड़ा जाना = व्यर्थ की आपत्ति में फँसना । नाहक झंझट में पड़ना चिड़ीया का खेत खाना = असावधानी के कारण अवसर निकल जाने से हानि उठाना । उ॰—घर रखवाला बाहरा, चिड़िया खाया खेत । आधा परधा ऊबरै, चेत सकै तो चेत ।—कबीर सा॰ सं॰ पृ॰ ६५ । चिड़िया फँसाना = (१) किसी स्त्री को बहकाकर सहवास के लिये राजी करना (अशिष्ट) । (२) किसी देनेवाला धनी आदमी को अनुकूल करना । किसी मालदार को दाँव पर चढ़ाना ।

२. अँगियों का वह सीवन जिससे कटोरियाँ मिली रहती हैं ।

३. चिड़िया के आकार का गढ़ा हुआ काठ का टुकड़ा जो टेक देने के लिये कहारों की लकड़ी, लँगड़ों की बैसाखी, मकानों के खंभो आदि पर लगा रहता है । आड़ा लगा हुआ काठ का टुकड़ा जिसका एक सिरा ऊपर की ओर चिड़िया की गरदन की तरह उठा हो ।

४. पायजामे या लहँगे का नली की तरह का वह पोला भाग जिसमें इजाराबंद या नाला पड़ा रहता है ।

५. ताश का एक रंग जिसमें तीन गोल पँखड़ियों की बूटी बनी होती है । चिड़ी ।

६. लोहे का टेढ़ा अँकुड़ा जो तराजू की डाँड़ी में लगा रहता है ।

७. गाड़ी में लगा हुआ लोहे का टेढ़ा कोढ़ा या अँकुड़ा जिसमें रस्सी लगाकर पैंजनी बाँटते हैं ।

८. एक प्रकार का सिलाई जिसमें पहले कपड़े आदि के दोनों सिरों को अलग अलग उन्हीं पल्लों पर उलटकर इस प्रकार बखिया कर देते हैं कि उसमें एक प्रकार की बेल सी बन जाती है ।