प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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चाँदनी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चाँद]

१. चंद्रमा का प्रकाश । चंद्रमा का उजाला । चंद्रिका । ज्योत्स्ना । कौमुदी । यौ॰—चाँदनी का खेत = चंद्रमा का चारों ओर फैल हुआ प्रकाश । चाँदनी रात =वह रात जिसमें चंद्रमा का प्रकाश हो । उजाली रात । शुक्ल पक्ष की रात्रि । मुहा॰—चाँदनी खिलना या छिटकना = चंद्रमा के स्वच्छ प्रकाश का खूब फैलना । शुभ्र ज्योत्स्ना का फैलना । चाँदनी मारना = (१) चाँदनी का बुरा प्रभाव पड़ने के कारण घाव या जखम का अच्छा न होना । (कुछ लोगों में यह प्रवाद प्रचलित है कि घाव पर चाँदनी पड़ने से वह जल्दी अच्छा नहीं होता ।) (२) चाँदनी पड़ने के कारण घोड़ों को एक प्रकार का आकस्मिक रोग हो जाना, जिससे उनका शरीर ऐंठने लगता है और वे तड़प तड़पकर मर जाते हैं । कहते हैं, यह रोग किसी पुरानी चोट के कारण होता । चार दिन की चाँदनी है = थोड़े दिन रहनेवाला सुख या आनंद है । क्षणिक समृद्धि है ।

२. बिछाने की बड़ी सफेद चद्दर । सफेद फर्श ।

३. ऊपर तानने का सफेद कपड़ा । छतगीर ।

४. गुलचाँदनी । तगर ।

चाँदनी वस्त्र पु संज्ञा पुं॰ [हिं॰ चाँदनी + सं॰ वस्त्र] सफेद बारीक मलमल । उ॰—राधे निरखति चाँदनी पहिरी चाँदनीवस्त्र । बदन-चंद्रिका-चाँदनी चतुरानन कौ अस्त्र ।—ब्रज॰ ग्रं॰, पृ॰ १८ ।