चरु
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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन
शब्दसागर सम्पादन
चरु संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ चरव्य]
१. हवन या जज्ञ की आहुति के लिये पकाया हुआ अन्न । हव्यान्न । हविष्यान्न । उ॰ हाँड़ी हाटक घटित चरु राँधे स्वाद सुनाज ।—तुलसी (शब्द॰) ।
२. वह पात्र जिसमें उक्त अन्न पकाया जाय ।
३. मिट्टी के कसोरे में पकाया हुआ चार मुट्ठी चावल ।
४. बिना माँड़ पसाया हुआ भात ।—वह भात जिसमें माँड़ मौजूद हो ।
५. पशुओं के चरने की जमीन ।
६. वह महसूल जो ऐसी जमीन पर लगाया जाया ।
७. यज्ञ ।
८. बादल । मेघ ।