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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

चरणामृत संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वह पानी जिसमें किसो महात्मा या बडे़ के चरण धोए गए हों । पादोदक । मुहा॰—चरणामृत लेना=किसी महात्मा या बडे़ का चरण धोकर पीना ।

२. एक में मिला हुआ दूध, दही, घी शक्कर और शहद जिसमें किसी देवमूर्ति को स्नान कराया गया हो । विशेष—हिंदू लोग बडे़ पूज्य भाव से चरणामृत पीते हैं । चरणामृत बहुत थोड़ी मात्रा में पीने का विधान हैं । क्रि॰ प्र॰—लेना । मुहा—चरणामृत लेना = बहुत ही थोड़ी मात्रा में कोई तरल पदार्थ पीना । चरणामृत पीना = पंचामृत लेना । चरणामृत माथे या सिर लगाना = किसी के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने के लिये उसके पादोदक को माथे पर रखना । चरणामृत को प्रणाम करना ।