चमक
संज्ञा
- रोशनी निकलना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
चमक संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ चमत्कृत् या अनु॰]
१. प्रकाश । ज्योति । रोशनी । जैसे,—आग या सूर्य की चमक बिजली की चमक ।
२. कांति । दीप्ति । आभा । झलक । दमक । जैसे,—सोने की चमक । कपड़े की चमक । यौ॰—चमक दमक । दमक चाँदनी । मुहा॰—चमक देना या मारना = चमकना । झलकना । चमक लाना = चमक उत्पन्न करना । झलकाना ।
३. कमर आदि का वह दर्द जो चोट लगने या एकबारगी अधिक बल पड़ने के कारण होता है । लचक । चिक । झटका जैसे,—उसकी कमर में चमक आ गई है । क्रि॰ प्र॰—आना ।—पड़ना ।
४. बढ़ना । उ॰—रात को जाड़ा यद्यपि चमक चला था ।— प्रेमघन॰ भा॰ २ ।
५. चौंक । भड़क । उ॰—जइ तूँ ढोला तावियउ काललयारा तीज । चमक मरेसी मारवी, देख खिवंता बीज ।—ढोला॰, दू॰ १५० ।
चमक चाँदनी संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चमक + चाँदनी] बनी ठनी रहनेवाली दुशचरित्रा स्त्री॰ ।
चमक दमक संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चमक + दमक अनु॰]
१. दीप्ति । आभा । झलक । तड़क भड़क ।
२. ठाठ बाट । लक दक ।— जैसे,—दरबार की चमक दमक देखकर लोग दंग हो गए ।