चपला

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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

चपला ^१ वि॰ स्त्री॰ [सं॰] चंचला । फुरतीली । तेज ।

चपला ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. लक्ष्मी ।

२. बिजली । चंचला ।

३. आर्या छंद का एक भैद । विशेष—जिस आर्या दल के प्रथम गण के अंत में गुरु हो, दूसरा गण जगण हो, तीसरा गण दो गुरु का हो, चौथा गण जगण हो, पाँचवा गण का आदि गुरु का हो, छठा गण जगण हो, सातवाँ जगण न हो, अंत में गुरु हो, उसे चपला कहते हैं । परंतु केदारभट्ठ और गंगादास का मत है कि जिस आर्या में दूसरा और चौथा गण जगण हो वही चपला है । जैसे,— रामा भजौ सप्रेमा, सुभक्ति पैहौ सुभुक्तिहू पैहौं । इसके तीन भेद हैं । (क) मुखचपला । (ख) जघनचपला । (ग) महचपला ।

४. पुंश्चली स्त्री ।

५. पिप्पली । पीपल ।

६. जीभ । जिह्वा ।

७. विजया । भाग ।

८. मदिरा ।

९. प्राचीन काल की एक प्रकार की नाव जो ४८ हाथ लंबी, २४ हाथ जौड़ी और २४ हाथ ऊँची होती थी और केवल नदियों में चलती थी ।

चपला ^३ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चप्पड़] जहाज में लोहे या लकड़ी की पट्टी जो पतवार के दोनों ओर उसकी रोक के लिये लगी रहती है ।—(लश॰) ।