प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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चद्दर संज्ञा स्त्री॰ [फ़ा॰ चादर]

१. चादर ।

२. किसी धातु का लंबा चौड़ा चौकोर पत्तर । क्रि॰ प्र॰—काटना ।—जड़ना ।—मढ़ना ।

३. नदी आदि के तेज बहाब में पानी का वह बहता हुआ अंश जिसका ऊपरी भाग कुछ विशेष अवस्थाओं में बिलकुल समतल या चादर के समान हो जाता है । विशेष—इस प्रकार की चादर में जरा भी लहर नहीं उठती और यह चादर बहुत ही भयानक समझी जाती है । यदि नाव या मनुष्य किसी प्रकार इस चद्दर में पड़ जाय, तो उसका निकलना बहुत कठिन हो जाता है । मुहा॰—चद्दर पड़ना = नदी के बहुते हुए पानी के कुछ अंश का एकदम समतल हो जाना । विशेष—दे॰ 'चादर' ।

४. एक प्रकार की तोप । उ॰—गुरद चद्दर गंज गुबारे । लिए लगाई तीर कस भारे ।—हम्मीर॰, पृ॰, ३० । विशेष—इसमें बहुत सी गोलियाँ अथवा लोहे के टुकड़े एक साथ तोप में भरकर चलाते थे और यह चद्दर कहलाती थी ।