प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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चतुर्व्यूह संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. चार मनुष्यों अथवा पदार्थों का समूह । जैसे,—(क) राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न । (ख) कृष्ण, बलदेव, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध । (ग) संसार, संसार का हेतु, मोक्ष, और मोक्ष का उपाय ।

२. विष्णु । विशेष—विष्णुसहस्त्रानाम के भाष्यकार के अनुसार विष्णु के शरीरपुरुष, छंदपुरुष, वेदपुरुष और महापुरुष चार रूप हैं । और पुराणों के अनुसार ब्रह्मा ने सृष्टि के कार्यों के लिये वासु- देव, संकर्षण, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध इन चार रूपों में अवतार लिया था; हसलिये उन्हें चतुर्व्यूह कहते हैं ।

३. योग शास्त्र ।

४. चिकित्सा शास्त्र ।