चतुरक्रम संज्ञा पुं॰ [सं॰] एक प्रकार का ताल जिसमें दो दो गुरु, दौ प्लुत और इनके बाद क गुरु होता है । यह ३२ अक्षरों का होता है और इसका व्यवहार श्रृंगार रस में होतता है ।