संज्ञा

  1. किसी परोपकारी अथवा सार्वजनिक कार्य के लिए दी या ली जाने वाली व्यक्तिगत आर्थिक सहायता

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

चंदा वि॰ [फा॰]

१. इतना ।

२. बहुत । अधिक ।

चंदा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ चन्द्र या चन्द ] चंद्रमा । उ॰—ज्यों चकोर चंदा को निरखै इत उत दृष्टि न जाहि । सूर श्याम बिन छिन छिन युग सम क्यों करि रैन बिहाँहि ।—सूर (शब्द॰) । यौ॰—चंदामामा = लडकों को बहलाने का एक पद । जैसे,— 'चंदा मामा दौडि आ । दूध भरी कटोरिया' इत्यादि ।

चंदा ^२ संज्ञा पुं॰ [फा॰ चंद (=कई एक)]

१. वह थोडा थोडा धन जो कई एक आदमियों से उनके इच्छानुसार किसी कार्य के लिये लिया जाय । बेहरी । उगाही । बरार ।

२. किसी सामयिक पत्र या पुस्तक आदि का बार्षिक या मासिक मूल्य ।

३. वह धन जो किसी सभा, सोसाइटी आदि की उनके सदस्यों या सहायकों द्वारा नियत समय पर दिया जाता है ।