प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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चंचरीकावली संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ चञ्चरीकावली]

१. भौंरों की पंक्ति ।

२. तेरह अक्षरों के एक वर्णवृत्त का नामजिसके प्रत्येक चरण में यगण, मगण, दो रगण और एक गुरु होता है । (/?/ /?/) । जैसे,—यमौ रे । रागै छाँड़ौ यहै ईश भावै । न भूलो माधो को विश्व ही जो चलावै । लखौ या पृथ्वी को बाटिका चंपकी ज्यौ । बसौ रागै त्यागै चंचरीकावली ज्यों ।