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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

चँवर संज्ञा पुं॰ [सं॰ चामर] [स्त्री॰ अल्पा॰ चँवरी]

१. सुरा गाय की पूँछ के बालों का गुच्छा जो काठ, सोने, चाँदी आदि की डाँड़ी में लगा रहता है । विशेष—यह राजाओं या देवमूर्तियों के सिर पर, पीछे या बगल से डुलाया जाता है, जिससे मक्खियाँ आदि न बैठने पावें । कभी कभी यह खस का भी बनता है । मोर की पूँछ का जो चँवर बनता है, उसे मोरछल कहते हैं । चँवर प्रायः तिब्बती और भोटिया ले आते हैं । यौ॰—चँवरी गाय = वह गाय जिसकी पूँछ के बाल से चँवर बनाया जाता है । भगवान शिव के अवतार भैरवनाथ का भी अस्त्र है।

२. घोड़ों और हाथियों के सिर पर लगाने की कलगी । उ॰— तैसे चँवर बनाए औ घाले गल झंप । बँधे सेत गजगाह तहँ जो देखै सो कप ।—जायसी (शब्द॰) ।