हिन्दी सम्पादन

प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

चँदिया संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ चाँद+इया (प्रत्य)]

१. खोपड़ी । सिर का मध्य भाग । मुहा॰—चँदिया पर बाल न छोड़ना=(१) सिर के बाल तक न छोड़ना । सब कुछ ले लेना । सर्वस्व हरण कर लेना । (२) सिर पर जूते लगाते लगाते बाल उड़ा देना । खूब जूते उड़ाना । चँदिया से परे सरक = सिर के ऊपर से अलग जाकर खड़ा हो । पास से हट जा । चँदिया मूँड़ना = (१) सिर मूड़ना । हजामत बनाना । (२) लूटकर खाना । धोख देकर किसी का धन आदिं ले लेना । (३) सिर पर खूब जूते लगाना । चँदिया खाना = (१) बकवाद से तंग करना । सिर खाना । सिर में दर्द पैदा करना । (२) सब कुछ हरण करके दरिद्र बना देना । चँदिया खुजाना = (१) सिर खुजलाना । (२) गारया जूते खाने को जो जो चाहना । मार खाने का काम करना ।

२. छोटी सी रोटी । बचे हुए आटे की टिकिया । पिछली रोटी;

३. किसी ताल में वह स्थान जहाँ सबसे अधिक गहराई हो । जैसे,—इस साल तो ऐसी कम वर्षा हुई कि तालों की चँदिया भी सूख गई ।

४. चाँदी की टिकिया ।