घीव पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ घृत] दे॰ 'घी' उ॰—दूध के बीच में घीव जैसे, ऐसे फूल के बीच में बास हे जी—कबीर॰ रे॰, पृ॰ २७ ।