प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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घाटा ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ घटना] घटी । हानि । नुकसान । जैसे,— इस, व्यवसाय में उन्हें बड़ा घाट आया । क्रि॰ प्र॰—आना ।—पड़ना ।—होना ।—उठना ।—देना ।— सहना ।—बैठना ।—खाना । मुहा॰—घाटा उठाना = हानि सहना । नुकसान में पड़ना । घाटा भरना—(१) नुकसान भरना । अपने पल्ले से रुपया देना । (२) नुकसान पूरा करना । हानि की कसर निकालना । कमी पूरी करना ।

घाटा पु ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ घट्ट] घाटी । उ॰—साद करे किम सुदुर है, पुलि पुलि थक्के पाँव । सयणे घाटा बउलिया बइरि जु हआ वाव ।—ढोला॰, दू॰, ३८५ ।

घाटा ^३ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. घड़ा ।

२. गरदन के पीछे का हिस्सा ।

३. नाव आदि से उतरने के लिये किनारे का स्थान [को॰] ।