घाघ
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनघाघ ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰]
१. गोंड़े के रहनेवाले एक बड़े चतुर और अनुभवी व्यक्ति का नाम जिनकी कही बहुत सी कहावतें उत्तरीय भारत में प्रसिद्ध हैं । खेती बारी, ऋतुकाल तथा लग्न मुहूर्त आदि के संबंध में इनकी विलक्षण उक्तियाँ किसान तथा सर्वसाधारण लोग बहुत कहा करते हैं । जैसे—मुए चाम से चाम कटावे, सकरी भुइँयाँ सोवैं, कहे घाघ ये तीनों भकुआ, उढ़रि जाय औ रोवै ।
२. अत्यंत चतुर मनु्ष्य । अनुभवी । गहरा । चालाक । खुर्राट । सयाना ।
३. इंद्रजाली । जादूगर । बाजीगर । उ॰—जैसो तुम कहत उठायो एक गिरिवर ऐसे कोटि कपिन के बालक उठावहीं । काटे जो कहत सीस, काटत घनेरे घाघ, भगर के खेले भट पद पावहीं ।—केशव (शब्द॰) ।
घाघ ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ घुग्घु] उल्लू की जाति का एक पक्षी जो चील के बराबर होता है । घाघस ।