घाई
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनघाई पु † संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ घाँ या घा] ओर । तरफ । अलंग । उ॰—(क) प्यारी लजाय रही मुख फेरि दियो हँसि हेरि सखीन की घाई । सुंदरीसर्वस्व (शब्द॰) । (ख) हँसै कुंद हे मुकुंद सहैं बन बागन में करैं चहुँ घाई कीर कोकिला चवाई हैं ।—दीनदयाल (शब्द॰) ।
२. दो वस्तुओं के बीच का स्थान । संधि । उ॰—चुरियानहु में चपि चूर भयो दबि छंद पछोलिन घाई कहूँ ।—हरिसेवक (शब्द॰) ।
३. बार । दफा ।
४. पानी में पड़नेवाला भँवर । गिरदाब ।
घाई ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ गभस्ति (= उँगली)]
१. दो उँगलियों के के बीच की संधि । अँगूठे और उँगली के मध्य का कोण । अंटी ।
२. पेड़ी और डाल के बीच का कोना ।
घाई ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ घाव]
१. चोट । आघात । मार । प्रहार । वार । उ॰—जदपि गदा की बड़ी बड़ाई । पै कछु और चक्र की घाई ।—लाल (शब्द॰) ।
२. पटेबाजी की विशेष चोट । जैसे,—दो की घाई, चार की घाई ।
३. धोखा । चाल- बाजी । उ॰—दई घोर अँध्यार में घोर घाई । कभू सामुहें दाहिने बाम घाई ।—सूदन (शब्द॰) । मुहा॰—घाइयाँ बताना = झाँसा देना । टालटूल करना ।
घाई ^३ पु वि॰ [सं॰ घाव्रिन] दे॰ 'घाती' । उ॰—संशय सावज शरिर महँ सगहि खेल जुआर । ऐसा घाई बापुरा जीवहिं मारै झार ।—कबीर ग्रं॰, पृ॰ ८८ ।
घाई ^४ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ गाही] पाँच वस्तुओं का समूह । पँच- करी । गाही ।