प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ग्लानि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] [वि॰ ग्लेय]

१. शारीरिक या मानसिक शिथिलता । अनुत्साह । खेद । अक्षमता ।

२. मन की एक वृत्ति जिसमें अपने किसी की बुराई या दोष आदि को देखकर अनुत्साह, अरुचि खिन्नता उत्पन्न होती है । पश्चात्ताप ।

३. साहित्य में वीभत्स रस का एक स्थायी भाव । विशेष—साहित्यदर्पण के अनुसार यह व्यभिचारी भाव के अंतर्गत है । रति, परिश्रम, मनस्ताप और भूख, प्यास आदि उत्पन्न दुर्बलता ही ग्लानि है । इसमें शरीर काँपने लगता है, शक्ति घट जाती है और किसी कार्य के करने का उत्साह नहीं होता ।

४. पतन । ह्रास । उ॰—जब जब धर्म की ग्लानि होती है और अधर्म का अभ्युत्थान होता है, तब युग युग में वह अवतार लेता है ।—हिंदू॰ सभ्यता, पृ॰ १८८ ।