संज्ञा

ग्रास

  1. घोड़ा

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

ग्रास संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. उतना भोजन जितना एक बार मुँह में डाला जाय । गस्सा । कौर । निवाला ।

२. पकड़ने की क्रिया । पकड़ । गिरफ्त ।

३. सूर्य या चंद्रमा में ग्रहण लगना । जैसे,— खग्रास, सर्वग्रास ।

४. संगीत का एक भेद । उ॰—आछी भाँति तान गावन बाँकी रीतिन सुरग्राम ग्रास गहि चोख चटक सों ।—घनानंद, पृ॰ ४२५ ।

५. आहार निगलने का कार्य (को॰) ।

६. आहार (को॰) ।

७. अस्पष्ट उच्चारण (को॰) ।