प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ग्राम्यधर्म संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मैथुन । स्त्रीप्रसंग ।

२. ग्रामीण का कर्तव्य (को॰) ।